RBI FD Rules: अगर आप फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) में निवेश करते हैं या योजना बना रहे हैं, तो भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के नए बदलाव आपके लिए फायदेमंद साबित होंगे। RBI ने FD नियमों को सरल और निवेशक-अनुकूल बनाया है, जिससे पैसा लगाना अब पहले से ज्यादा आसान हो गया है। FD उन लोगों का पसंदीदा विकल्प रहा है, जो बिना रिस्क लिए नियमित रिटर्न चाहते हैं। आइए, जानते हैं नए नियमों और FD से जुड़ी अहम जानकारियां।
FD क्यों है बेहतर निवेश विकल्प?
FD में आप एक निश्चित समय के लिए बैंक या वित्तीय संस्थान में पैसा जमा करते हैं और तय ब्याज कमाते हैं। इसकी सबसे बड़ी खूबी यह है कि आपका पैसा पूरी तरह सुरक्षित रहता है और ब्याज दर शुरुआत में ही फिक्स हो जाती है। शेयर बाजार या म्यूचुअल फंड जैसे अन्य विकल्पों के मुकाबले इसमें उतार-चढ़ाव नहीं होता। इसलिए, सुरक्षा चाहने वाले निवेशकों के लिए FD एकदम सही प्लान है।
एक व्यक्ति कितनी FD कर सकता है?
क्या कोई व्यक्ति एक से ज्यादा FD खोल सकता है? इस सवाल का जवाब है हां। RBI ने FD की संख्या पर कोई पाबंदी नहीं लगाई है। आप अपनी जरूरत और वित्तीय लक्ष्यों के हिसाब से कई FD खोल सकते हैं। चाहें तो अलग-अलग बैंकों में FD बनवाएं या एक ही बैंक में कई डिपॉजिट करें। हालांकि, हर FD के लिए KYC डॉक्यूमेंट्स (जैसे पहचान पत्र, पैन कार्ड, एड्रेस प्रूफ) जमा करना अनिवार्य है।
FD के लिए पैन कार्ड जरूरी क्यों है?
FD खुलवाते समय पैन कार्ड देना अनिवार्य है, चाहे आप बैंक में निवेश करें या पोस्ट ऑफिस में। इसकी वजह है टैक्स से जुड़े नियम। अगर FD पर सालाना ब्याज ₹40,000 से ज्यादा होता है (सीनियर सिटीजन के लिए ₹50,000), तो बैंक इस पर TDS (टैक्स डिडक्शन एट सोर्स) काटता है। TDS की प्रक्रिया के लिए पैन कार्ड जरूरी होता है। अगर पैन कार्ड नहीं है, तो TDS की दर अधिक (20% या उससे ज्यादा) लग सकती है।
FD कितने समय के लिए कर सकते हैं?
FD की अवधि आपकी सुविधा के अनुसार चुन सकते हैं। यह 7 दिनों से लेकर 10 साल तक हो सकती है। ज्यादातर बैंक 1 साल, 2 साल, 5 साल जैसी अवधियों के लिए बेहतर ब्याज दरें देते हैं। वर्तमान में, कई बैंक FD पर 7% से 8.5% सालाना ब्याज दे रहे हैं, जबकि सीनियर सिटीजन को 0.25%-0.5% अतिरिक्त ब्याज मिलता है। लंबी अवधि की FD पर ब्याज दरें आमतौर पर अधिक होती हैं।
FD के बड़े फायदे
RBI द्वारा मान्यता प्राप्त बैंकों में ₹5 लाख तक की FD पर डिपॉजिट इंश्योरेंस कवर मिलता है।
ब्याज दर शुरुआत में तय होती है, इसलिए रिटर्न का अनुमान लगाना आसान है।
अलग-अलग FD खोलकर आप इमरजेंसी फंड और लॉन्ग-टर्म गोल्स को मैनेज कर सकते हैं।
जरूरत पड़ने पर FD तोड़ सकते हैं, लेकिन इस पर थोड़ा पेनल्टी या कम ब्याज मिल सकता है।
निवेश करते समय किन बातों का रखें ध्यान?
छोटे और बड़े बैंकों की ब्याज दरें अलग-अलग होती हैं। HDFC, SBI, पोस्ट ऑफिस जैसे संस्थानों की दरें चेक करें।
अगर ब्याज आपकी टैक्स स्लैब में आता है, तो FD को परिवार के कम आय वाले सदस्य के नाम से करें।
FD की मैच्योरिटी डेट पर ध्यान दें, वरना बैंक इसे अपने-आप रिन्यू कर देगा और नई दरों पर ब्याज मिलेगा।
60 साल से ऊपर के निवेशकों को ज्यादा ब्याज मिलता है, इसका फायदा उठाएं।
निष्कर्ष:-
RBI के नए नियमों ने FD को और भी लचीला और सुरक्षित बना दिया है। बिना किसी जोखिम के नियमित आय चाहने वालों के लिए यह आज भी सबसे भरोसेमंद विकल्प है। बस निवेश से पहले ब्याज दरें, बैंक की साख, और अपनी वित्तीय जरूरतों को जरूर चेक कर लें।
Disclaimer: यह लेख सामान्य जानकारी के लिए है। FD से जुड़े नियम और ब्याज दरें समय-समय पर बदल सकते हैं। निवेश से पहले संबंधित बैंक या वित्तीय सलाहकार से सलाह जरूर लें।