Home loan EMI Rules: होम लोन घर बनाने के सपने को पूरा करने का ज़रिया है लेकिन इसकी EMI ((home loan EMI Tips)) चुकाना कई बार मुश्किल हो जाता है वित्तीय परेशानियों, अचानक खर्च या सैलरी में देरी की वजह से EMI बाउंस (EMI bounce) होना आम है एक बार EMI मिस होने पर भी CIBIL स्कोर ((cibil score kaise sudhare) गिरने और बैंक की पेनाल्टी का डर रहता है। अगर आप भी इस समस्या से जूझ रहे हैं तो घबराएं नहीं यहां बताए गए तरीकों को फटाफट अपनाकर आप बड़े नुकसान से बच सकते हैं।
ध्यान रखें:-
- EMI बाउंस होते ही CIBIL स्कोर पर असर शुरू होता है।
- लगातार 3 बार EMI न चुकाने पर लोन डिफॉल्ट की स्थिति बन सकती है।
- बैंक से सही समय पर बात करके पेनाल्टी और कानूनी कार्रवाई रोकी जा सकती है।
1. पहली बार किस्त न भर पाएं तो यह करें
अगर पहली बार EMI ((EMI payment rules) भरने में देरी हो रही है, (EMI default hone par kya kre) तो तुरंत बैंक से संपर्क करें। बैंक मैनेजर को फोन करके या ब्रांच जाकर अपनी मजबूरी बताएं। जैसे: सैलरी में देरी, मेडिकल इमरजेंसी, या नौकरी छूटना। बैंक आमतौर पर पहली गलती पर सहानुभूति दिखाता है।
क्या फायदा होगा?
- आपको 7-10 दिन का ग्रेस पीरियड मिल सकता है।
- पेनाल्टी चार्ज (panelty charge on EMI bounce) कम हो सकता है।
- CIBIL स्कोर पर असर नहीं पड़ेगा, क्योंकि बैंक 60 दिन तक रिपोर्ट नहीं भेजते।
2. दूसरी बार किस्त नहीं भरने पर उठाएं यह कदम
लगातार दूसरी बार EMI ((EMI bouncing rules) चूकने पर स्थिति गंभीर हो जाती है। इस स्टेज पर बैंक आपको “लोन डिफॉल्टर” की लिस्ट में डाल सकता है। ऐसे में: तुरंत पिछली सभी बकाया किस्तें चुकाएं, बैंक मैनेजर से मिलकर CIBIL रिपोर्ट न भेजने की रिक्वेस्ट करें भविष्य में EMI समय पर भरने का लिखित अंडरटेकिंग दें।
3. बार-बार नहीं चुका पा रहे हैं ईएमआई तो क्या करें?
लगातार 3-4 बार EMI बाउंस होने पर बैंक लोन अकाउंट फ्रीज कर सकता है या प्रॉपर्टी ज़ब्त करने की नोटिस भेज सकता है इस स्थिति में:-

लोन रिस्ट्रक्चरिंग का ऑप्शन लें: EMI की रकम घटाकर किश्तों की संख्या बढ़वाएं।
EMI होल्ड करवाएं: 3-6 महीने के लिए किस्तें रोकें (Moratorium Period), लेकिन ध्यान रखें इस दौरान ब्याज जुड़ता रहेगा।
एकमुश्त पेमेंट का प्लान बनाएं: FD या गोल्ड लोन लेकर बकाया रकम चुकाएं।

4. EMI बाउंस में वेतन है वजह तो ऐसे पाएं समाधान
अगर सैलरी डेट और EMI डेट में मिसमैच हो रहा है तो बैंक से EMI की तारीख बदलवाना सबसे आसान उपाय है। जैसे:-
अडवांस EMI: अगर सैलरी 1-5 तारीख को आती है, तो EMI डेट 7 तारीख सेट करवाएं।
अरियर EMI: अगर सैलरी 25-30 तारीख को आती है, तो EMI डेट 15 तारीख के बाद रखवाएं।
कैसे करें रिक्वेस्ट?
बैंक को लिखित आवेदन दें या नेट बैंकिंग के ज़रिए डेट चेंज ऑप्शन चुनें ज़्यादातर बैंक साल में एक बार EMI डेट बदलने की सुविधा देते हैं इससे आपकी सैलरी आने तक EMI के लिए पैसे जमा रहेंगे और बाउंस होने का डर खत्म हो जाएगा।
निष्कर्ष:-
EMI बाउंस होना कोई अपराध नहीं लेकिन लापरवाही आपको महंगी पड़ सकती है। बैंक से छुपाने या टालमटोल करने की बजाय सीधे उनसे बात करें अगर आप ईमानदारी से समस्या बताएंगे, तो बैंक भी आपको समय देगा और सॉल्यूशन ऑफर करेगा। याद रखें, CIBIL स्कोर को बचाना और लोन डिफॉल्ट से बचना आपके ही हाथ में है। इसलिए, EMI चुकाने की प्लानिंग पहले से करें और इमरजेंसी फंड ज़रूर बनाएं!